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जब तक झूठ को मुकाम मिलता रहेगा।
सच को हमेशा इम्तिहान मिलता रहेगा।
दरबारी कलम लिखेगी जब भी लिखेगी,
हिंद को मानसिक गुलाम मिलता रहेगा।
रोज मरने की आदत पुरस्कृत होती रही,
बाद बेगुनाही के इल्ज़ाम मिलता रहेगा।
सेवा त्याग कुर्बानी की तासीर कायम रही
इंसानियत को सतनाम मिलता रहेगा।
उदय वीर सिंह।
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