रविवार, 23 अक्तूबर 2022

दीप जले... तम गया गया

 दीप जले त..म गया गया...

हर घरों को मिले रोशनी कम न हो।
हो हृदय में उजाला नयन नम न हो।
पूछते  हैं  नहीं  दीप  तुम  कौन  हो,
हर चौखट पर जलते नमन कम न हो।
ऊंचे  प्रतिमान  पग प्रेम  की  वल्लरी,
प्रकाशित हो कण-कण कहीं तम न हो।
आस  सबकी  पूरे ,गर्व  गरिमा  मिले,
लोक -विध्वंस जाए सृंजन कम न हो।
भव्य आलोक  की काव्य-धारा प्रखर,
रस -रजे भाव से जी जतन कम न हो।
उदय वीर सिंह।

1 टिप्पणी:

रेणु ने कहा…

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति वीर जी।दीपोत्सव पर आपको भी सपरिवार हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🎊🎊🎉🎉🎀🎀🎁🎁🌺🌺♥️🌹🙏