रविवार, 20 नवंबर 2022

साहस रखिये.....





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कहने  का  संकल्प सबल

सुनने  का  साहस रखिये।

आघात  पीर  का दाता है,

देकर पाने  का बल रखिये।

लौट आती प्रतिध्वनि बनकर

अपनी  ध्वनि  जैसी  भेजी,

अपने शब्दों केही स्वागत में

खाली अपना आँचल रखिये।

कांटों  से  गंध  नहीं मिलती

चाहे वन  में हों  या रंगमहल

कभी कीच गेह अनुमन्य नहीं 

चाहे नाम भले संदल रखिये।

उदय वीर सिंह।

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