रविवार, 11 दिसंबर 2022

जो दिल में है....


 





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जो  दिल  में  है सबके मयस्सर  हो जाये।

वास्ते सदाकत दुआओं में असर  हो जाये।

अंतहीन न हो रास्ता किसी भी मंजिल का

गम किसी का भी हो वीर मुख़्तसर हो जाये।

काबा किसी के दिल काशी किसी के दिल 

दिल  में  किसी  के बाबे अमृतसर हो जाये।

नफ़रत की छैनियों  ने  तोड़े  हैं तमाम रस्ते

मोहब्बत  हर किसी की हमसफ़र हो जाये।

उदय वीर सिंह।

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