रविवार, 1 जनवरी 2023

अलविदा 2022


 




अलविदा.... 2022..✍️


किताबों  के  घर हथियार नहीं रखते। 

इंसानियत फले फूले दीवार नहीं रखते।

रुख़सत हुआ जाता है ये पुराना साल,

रवायत है नक़द की उधार नहीं रखते।

कह रहा है सदा अमन की फिक्र करना,

नफ़रत से  कोई  सरोकार नहीं रखते।

जाते हुए साल से बेहतर हो नया साल ,

हो बहारों की आमद खार नही रखते।

समय को उकेरा है समय के खांचों में,

दरबारों कीआस कलमकार नहीं रखते।

उदय वीर सिंह।

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