शनिवार, 14 जनवरी 2023

काल -कथा है कहने दो...






 काल-कथा है कहने दो..✍️

सरिता है मत अवरोध बनो

धारा अपनी बहने दो।

हर तट तीरथ की अपनी

काल-कथा है कहने दो।

काल-खंड के भावों को 

व्यक्त किया अनुरागों से,

क्या लिखा है पाती जातक

पढ़ रहा है पढ़ने दो।

जीवन को कारागार नहीं

द्वेष-मुक्त शिक्षालय हो

समता की उर्वर वसुधा में

अभेद वृक्ष को पलने दो।

आडंबर पाखंडों की ध्रुव,

अनुशंसा प्रतिबंधित हो,

क्यों संशय है कुंदन पर 

ताप अनल के जलने दो।

सत्य अनावृत होता हो,

 करतल ध्वनि की गूंज उठे

असत्य,प्रलाप,प्रपंचों को

अग्निशिखा में जलने दो।

उदय वीर सिंह।

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