🙏🏼नमस्कार सुधि मित्रों!
अर्थ के नाम पर कमाल के धंधे।
धर्म के नाम पर कमाल के बंदे।
एक बहाना चाहिए लूटने के लिए,
सहारा के नाम पर कमाल के कंधे।
देखते हैं सब कुछ परहेज बोलने से,
दीद के नाम पर कमाल के अंधे।
बेख़ौफ घूमते कत्लेआम के मुल्जिम,
डर के नाम पर ये कमाल के डंडे।
कायम कई दीवार दिखाई नहीं देतीं,
दहशत के नाम पर कमाल के फंदे।
उदय वीर सिंह।
5।2।23
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