शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

जफ़र किस काम का होगा..

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हम ख़ुशहाल हुए जी, दूसरों को दर्द देकर।

सोए खूब दूसरों को जागने का फर्ज़ देकर।

विपदा  में अवसर तलाशा मोटी कमाई का, 

मालामाल  हुए  मोटे व्याज का कर्ज़ देकर।

खून-पसीने का मोल अदा किया  इस तरह,

हमने वापस किया जी लाइलाज़ मर्ज़ देकर।

फिज़ाओं का बे-सरहद होना बे-अदब माना,

नंगा  किया शज़र को  हमने पत्ते  ज़र्द देकर।

उदय वीर सिंह।

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