सोमवार, 17 अप्रैल 2023

सच्चाईयां लिखूं ✍️








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 किसी  की  बुराईयां   लिखूं

    किसी की अच्छाइयां लिखूं।
इससे बेहतर है कलम कि मैं
         जीवन की  सच्चाईयां लिखूं।
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भीड़ कभी लश्कर नहीं बनते
       नकल कभी नजीर नहीं बनते।
दरवेश   तो   दरवेश  होते  हैं
            दरवेश कभी वजीर नहीं बनते।
उदय वीर सिंह।