***
हर हाथ को औजार मिले काम मिले।
श्रमिक को श्रम का पूरा दाम मिले।
जहां से द्वार प्रगति के बनते खुलते हैं
उन्हें न्याय सहकार मिले सम्मान मिले।
***
श्रम-विंदु का मोल उच्चप्रतिमान मिले।
त्याग तपस्या अर्पण का प्रतिदान मिले।
अधरों पर मुस्कान भरोषा दिल में हो,
स्वास्थ्य सुरक्षा रोटी कपड़ा मकान मिले।
उदय वीर सिंह।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें