शुक्रवार, 30 जून 2023

सूर्य अस्त हो जाता है


 






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पाखंडों का दीप्त सूर्यओझलअस्त होजाता है।

पाकर ताप लाख हम्र्य पलमें ध्वस्त होजाता है।
अन्यायअसत्यकी भीतोंपर क्षार लिपटने लगता
सागर की निर्ममता जातक अगत्स्य होजाता है।
पीड़ा भी धैर्य खो देती  है,अंतहीन आघातों पर,
स्वरूप धार का धर लेती पर्वत पस्त होजाता है
अमृतकाल का अवसर घटभरेहुए विष-द्रव्यों से
मस्त हुआ जाएअवसादी स्नेही त्रस्त होजाता है
उदय वीर सिंह।

मंगलवार, 13 जून 2023

पाखंड से फार्मूला...






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पाखंडों से कभी फार्मूला नहीं पाओगे।

वृक्ष सेमल से फल रसीला नहीं पाओगे।

आस्था से तर्क को छोटा मत करो वीर,

रेशम  को  कभी पथरीला नहीं पाओगे।

बंसरी  बांस  की  होती पत्थर  की  नहीं,

किसी बेजुबां  को  सुरीला नहीं पाओगे।

दीवार कितनी छिपी हो दिख ही जाएगी,

हवा बता  देगी जो तुम बता नहीं पाओगे।

अंधविस्वास की  जमीं  विवेक मरता है

पाखंड  से फतह  का किला नहीं पाओगे।

उदय वीर सिंह।

गुरुवार, 1 जून 2023

फर्क पड़ता है





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गद्दार को गद्दार कहो  क्या फर्क पड़ता है,

गद्दार को वफादार कहो तो फर्क पड़ता है।

इश्तिहारों में जगह पा जाए झूठ लाजिमी है

संस्कारों को समाचार कहो फर्क पड़ता है।

हजारों दर्द मिले एक और मिला क्या फ़र्क, 

संवेदना को कदाचार कहो फर्क पड़ता है।

वारों  की  कमीं नहीं  वो आएंगे जाएंगे ही

मंगलवार  को  इतवार कहो फर्क पड़ता है।

महल  का  मायिना  सिर्फ  दीवार  ही  नहीं

दीवारों  को रोशनदान कहो  फर्क पड़ता है।

उदय वीर सिंह।