विज्ञान को दूर रखो पाखंड से!...✍️
सुना है चाँद पर मज़हब इंतजार में है।
ज्ञान हासिये पर हुआ सौदाई प्रचार में है।
सुना है रोवर से पहले पहुंच गया फरेब,
एलियन, भगवानों की चर्चा बाजार में है।
शरगोशियाँ हैं अब अपनी मुट्ठी में है चाँद,
चाँद कहकशाँ में नहीं अपने अखबार में है।
हम कहाँ निकले जहालत के हिजाब से,
चंद्रयान की सफलता पाखंड के दरबार में है।
हम यूं ही नहीं हुए बेगाने अपनी जमीन पर
साडी हिलती हुई छत झूठ की दीवार पर है।
उदय वीर सिंह।