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बोलिए जनाब हिसाब से बोलिये।
तथ्यों से और किताब से बोलिये।
न जा पाएंगे कुछ भी बोल कर वीर
अपनी जबान संभाल कर बोलिये।
जमाना सुनता हैऔर सोचता भी है,
मंच से बोलिये या ख़्वाब से बोलिये।
जानने लगे लोग सच-झूठ का फर्क
नेक रहमदिल हो वहाब से बोलिये।
गूंगा भी समझता है प्यार की भाषा
बेनकाब बोलिये या नकाब से बोलिये।
उदय वीर सिंह।
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