तेरी दया से जीवन स्वस्थ व पुनः सृजन में सक्रिय हुआ। 🌹
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दर्द भी मुफ़ीद हो जाता है तेरा प्यार पाकर।
गिरने की वजह न होती तेरा आधार पाकर।
ये मौसम ये मंजर बदलते हैं एक दूजे के संग
मेरा भरोषा कायम रहा दाते तेरा दरबार पाकर।
उजाला भी कितना अंधेरा था मायूसियों में,
हम प्रदीप्त हुए तेरा लासानी इलहाम पाकर।
उदय वीर सिंह।
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