असंयमित पग ,
लड़खड़ा रहे थे दोनों के ,
वेदना असीम थी .....
चाहत थी सुखद जीवन की ,
आँखों का सूनापन ,
लिए आस ,
संभाषण विहीन
खुले होंठ ,मचलते हुए ,
याचक थे --
सम्यक ,
खो रहे थे चेतना ,
अग्रसर अवचेतन की ओर,
सुधि नहीं वसन की ,गात की ,
शाम की ,प्रातः की ,
तड़फती आत्मा पुकारती ,
धिक्कारती ,
स्वयं को ,
परिस्थिति ,परिवेश को /
व्याकुल व्यथित मन की व्यथा ,
वर्णित हुयी --
बीमार थे दोनों ,
मांग रहे थे ,
प्याला !
एक दवा का ,
दूजा
शराब का ......
उदय वीर सिंह .
संभाषण विहीन
खुले होंठ ,मचलते हुए ,
याचक थे --
सम्यक ,
खो रहे थे चेतना ,
अग्रसर अवचेतन की ओर,
सुधि नहीं वसन की ,गात की ,
शाम की ,प्रातः की ,
तड़फती आत्मा पुकारती ,
धिक्कारती ,
स्वयं को ,
परिस्थिति ,परिवेश को /
व्याकुल व्यथित मन की व्यथा ,
वर्णित हुयी --
बीमार थे दोनों ,
मांग रहे थे ,
प्याला !
एक दवा का ,
दूजा
शराब का ......
उदय वीर सिंह .