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हमारी उंगलियों में तलवार देखने लगे।
नंगी शमशीरों में पतवार देखने लगे।
दलदली जमीन पोली उर्वर कही गई,
मीठे नीर की बावली मझधार देखने लगे।
विश्वास का संकट इतना गहरा होता गया
चोर उचक्कों में अपना सरदार देखने लगे।
तिजारती गलियां हयात सी दिखने लगीं,
पाक आंगन में मेला बाजार देखने लगे।
उदय वीर सिंह।