चिराग-ए-लियाकत ,कदम रहबरी के ,
जुदा तुमको दिल से नहीं कर सकेंगे --
रहोगे सदा तुम दिलों में हमारे ,
रुसवा तुम्हें हम नहीं कर सकेंगे --
लिखी है इबारत,मुकाम-ए-मुकम्मल ,
बिना रोशनी के नहीं पढ़ सकेंगे --
माना मुकद्दर न लिखता है गुलशन ,
गुलशन बिना गुल कहाँ खिल सकेंगे --
सरहद न हो कोई ,खुशियों की तेरी ,
कायम सदा हो दुआ ,हम करेंगे --
मेरे हम कदम ,तुम शरीके मुहब्बत
जो तुमने किया ,हम नहीं कर सकेंगे --
जाना है तुमको , बेशक चला जा ,
रुखसत तुम्हें ,हम नहीं कर सकेंगे --
उदय वीर सिंह
23/07/2011
16 टिप्पणियां:
दो लाइनों मे दिल ले लिया आपने,उदय भाई.
आभार.
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है.
बेहतरीन श्रद्धांजलि .....
आभार आपका !
दो की चौदह हुईं,मजा आ गया.
अंतिम दो की क्या बात है
जाना है तुमको , बेशक चला जा ,
रुखसत तुम्हें ,हम नहीं कर सकेंगे --
एक भावभीनी रचना, जो दिल को छू गई।
जाना है तुमको , बेशक चला जा ,
रुखसत तुम्हें ,हम नहीं कर सकेंगे
खूबसूरत ग़ज़ल...
बहुत सुन्दर गज़ल भाई उदयवीर जी बधाई और शुभकामनायें |
बहुत सुन्दर गज़ल भाई उदयवीर जी बधाई और शुभकामनायें |
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charcha manch ke madhyam se pahli bar aapke blog par aai hoon aapki ghazal padhi bahut achchi lagi.behtreen hai.yese hi likhte rahiye.mere blog par bhi aapka swagat hai.
मेरे हम कदम ,तुम शरीके मुहब्बत
जो तुमने किया ,हम नहीं कर सकेंगे --
जाना है तुमको , बेशक चला जा ,
रुखसत तुम्हें ,हम नहीं कर सकेंगे --
खूबसूरत शेर ...उम्दा...
दिल को छू कर निकल गई।
बहुत खूब...
दर्द को शब्दों के सांचे में ढाल दिया है ।
bhaut hi khubsurat shabdo se rachi gazal....
सरहद न हो कोई ,खुशियों की तेरी ,
कायम सदा हो दुआ ,हम करेंगे --
Great lines !
The couplet is reflecting the poet's pious heart . Amazed at this beautiful creation .
Badhaii Udar ji .
.
उम्दा गजल
सुन्दर रचना ||
खूबसूरत गजल...आभार.
सादर,
डोरोथी.
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