बुधवार, 29 सितंबर 2021

पतवार बिक गए तो...







क्या होगा उन बेड़ों का पतवार बिक गए तो।

मनसबदार कहाँ जायेंगे दरबार बिक गए तो।

घड़ियालों के नयनों से बहते रहे निरन्तर 

उनअश्कों का क्या होगा ऐतबार बिक गए तो।

प्यार की भाषा परिभाषा मौजों सी जो होगी,

रहबरी का क्या होगा जब यार बिक गए तो।

सत्य निष्ठा अनुराग सबल राह फतह की देते हैं,

क्या होगा रणभूमि का खुद्दार बिक गए तो।

उदय वीर सिंह।




शनिवार, 25 सितंबर 2021

बादशाह मौत का डर देता है...


 








........✍️

न पूछता है तूफान किसी की खैरियत

न आसमान घर देता है।

सल्तनत देती है बेदखली का,

 बादशाह मौत का डर देता है।

झुका सकते हैं जो आसमां को ,

उन परिंदों को पर नहीं,

गैरों की अस्मत का है जिन्हें ख़्याल,

दौर मुर्दों का शहर देता है।

समंदर किसी की परवाह करे 

 नहीं मिलती कोई मिसाल,

बरसती आग सहरा में मुसाफ़िर को,

कौन शज़र देता है।

उदय वीर सिंह ।

रविवार, 19 सितंबर 2021

ठहरे हुए हैं लोग....


 








🙏🏼नमस्कार मित्रों!

आंधियां तौहीद की बिखरने लगे हैं लोग।

दी वस्ल कीआवाज बिछड़ने लगे हैं लोग।

मोहब्बत के खानसामे ताज़िर से हो गए,

बसने लगी है आग,उजड़ने लगे हैं लोग।

शहर के शहर हैं गहरी ख़ामोशियों की जद,

दहशतज़दा हैं गांव,सहमे हुए हैं लोग।

मसर्रत की इतनी बारिस पैमाल जिंदगी है,

नामंजूर इतनी खुशियां मरने लगे हैं लोग।

किसको पता है मंजिलआपस में पूछते हैं,

जाए किधर को काफ़िला ठहरे हुएहैं लोग।

उदय वीर सिंह।

मंगलवार, 14 सितंबर 2021

औजार बनाने को कहिये...








.हिंदी पखवाड़ा..✍️

हथियार बनाने वालों से औजार बनाने को कहिए।

दीवार उठाने वालों से शुभ-द्वार बनाने को कहिये।

आकाश मित्रवत तब तक है जब तक ऊर्जा पंखों में,

एक नीड़ धरा ही दे सकती आधार बनाने को कहिये।

प्राण प्रतिष्ठा मानवता की मन-मानस करनी होगी,

रचनाकारी हाथों से संस्कार रचाने को कहिये ।

पत्थर और फूलों की अपनी- अपनी दुनियां है,

घर भी बने उपवन भी बसे गुलज़ार बनाने को कहिये।

अन्याय भेद षडयंत्रों से रक्तपात ही उपजा है,

जीवन जलता आग घृणा की प्यार बसाने को कहिये।

भष्मित कर देता उन्माद इतिहास जगत का कहता है,

पहले शीश झुके अपना फिर शीश झुकाने को कहिये।

उदय वीर सिंह।

शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

करीब न होंगे..

 





बोल कर प्यार के दो बोल

कभी गरीब न होगे।
किसी की गर्दिशी में साथ दे
बद्दनसीब न होगे।
दो कदम जनाजे के साथ
ताजिर नहीं जाते,
लगाकर हबीब की पट्टियां
कभी हबीब न होंगे।
हमदर्दी की नुमाईश नहीं
करते कभी नेकदिल,
रख कर फासले दिल में
कभी क़रीब न होंगे।
उदय वीर।

रविवार, 5 सितंबर 2021

शिक्षक दिवस








🙏🏼शिक्षक दिवस की अनन्य बधाई व शुभकामनाएँ..

जाग्रत हो उठता जातक 

शिक्षा की प्राण प्रतिष्ठा पा

शिक्षक तेरा शत शत वंद

अस्त्र शस्त्र शिक्षा का पा।

रण में वन में मरु गगन में

रक्षित ज्ञान सुरक्षा का पा। 

संस्कार पुष्पित होते गुरु

तेरी पीत अभिरक्षा का पा।

उदय वीर सिंह।