उठो सवेर हुयी -
सपने जगा रहे हैं सोने वालों
घोड़े की जीन , गधे पर लगाने वालों ,
दिखाने को सूरज ,दीया जलाने वालों,
सजा काट चुके निर्दोष,को रिहा कराने ,
सूखे दरख्त को हरा करने के श्वप्नद्रष्टा ,
बिना लाश की अर्थी , उठाने वालों -
सूरज हरा नहीं हुआ तारीखें गवाह,
चाँद के गोरेपन से , जलने वालों ,
बर्फ बनती है , जब तापमान गिरता है ,
गिरना तापमान का , तूफान लाता है
सन्देश काफी है , फरेब करने वालों -
अपने फर्ज को अहसान बताने वालों ,
झुका नहीं आसमान , झुकाने वालों ,
हमदर्द को भी , मर्ज बताने वालों
खता बेटे की, सजा भुगतता रहा ताउम्र,
स्वार्थ में गधे को बाप बनाने वालों -
पहचान कर , रोटी में खून किसका ,
मौज से दूध में , डुबोकर खाने वालों
रातों की नींद , दिन का सकून बेचा है
मिटाकर रवानी, वजूद की तलाश में है,
घर दो इन्सान को , कब्र बनाने वालों -
माँगा था दूध , पैदा होकर छाती का ,
दुधमुहें को नुडल खिलाने वालों ,
लल्ली- लल्ला थे ,संस्कृति की पहचान,
शिकार हो गए ,उद्दाम -व्यूह रचना के ,
व्यंजन सा बना,अपने हाथों परोसने वालों -
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,गाली तो नहीं,
परंपरा की जिद में,मुक्ति को मिटाने वालों -
रात के अँधेरे में होठ रसीले लगते हैं,
जमीन पर पाँव मैले हो जायेंगे,का ख्याल,
संसद में विधेयक पर सवाल उठाने वालों-
अवशेष अस्थियाँ हैं , निचुडती नहीं अब
अध्ययन कर रही है , विद्वान - सेना ,
मरने से पहले हस्ताक्षर चाहते हैं,
बांड अगले जनम का भरवा रहे हो
बंधन के लिए , मुक्ति देने वालों -
उदय वीर सिंह