दीपोत्सव की हृदय से बधाई व शुभकामनाएं मित्रों ! जीवन उजाले से जगमगाता रहे तमस तिरोहित हो ,जा कही किसी गह्वर । आत्मबल आधार पाये दया करुणा प्रेम सहकार संस्कार बन जाए । हृदय से कामना ... -
अर्पित कर एक दीप अंधेरे को , तम का साम्राज्य कुछ तो कम होगा - तज कंगन शमशीर लिया कर मैंने मातृभूमि का वेदन कुछ तो कम होगा - सरहद से अब प्रीत हमारी वीर ले हाथ शीश सीमा पर उत्सव होगा -
मेरे घर का उजाला था, सितारों का हो गया दामन का मेरे फूल था , हजारों का हो गया - आंखे उडिका विच , लबों से सवाल गुम बाहें मेरी छोड़ अब , दीवारों का हो गया - वतन की हिफाजत में , निसार गया जिंदगी जा शहीदी की सेज , जांनिसारों का हो गया - उदय वीर सिंह
बड़भागी हूँ की सरहद मेरी मीत मिल गई - जिसकी तलाश जन्मों से वो प्रीत मिल गई - सुर साज़ों की गलियों से स्वर मानस न भाए देश प्रेम के अधरों को शुभ गीत मिल गई - जीवन वारा वलि वेदी पर सिर कटा पर झुका नहीं नश्वर जीवन सफल हुआ कुल गौरव को जीत मिल गई - उदय वीर सिंह
कुछ गुजर गई है जिंदगी कुछ गुजर रही है आज भी- सूरज तारे चाँद प्रश्नगत ले प्रश्न खड़े हैं चिराग भी - किश्तों में कुछ बिखर गई कुछ बिखर रही है आज भी - कुछ संवारा काल की धुन कुछ की नेह आवाज भी - प्रेम का सौदा किया जब तख्त छूटा, ताज भी - जब घरौंदा नम हुआ पर गये परवाज़ भी - उदय वीर सिंह
शहीदी क्या होती है पुछने वाला राष्ट्र वादी का खिताब ले गया - देश भक्ति का लंबरदार अपनी देश-भक्ति का हिसाब ले गया - पीता रहा चरणामृत लुटेरों का अतुल्य देशप्रेमी का ताज ले गया - मरे जीये बे-वसन वतनपरस्त मौज मे आज भी जो खिराज ले गया - उदय वीर सिंह
जितना बड़ा आँचल हुआ उतना समान आया बांटा जितना नेह हमने ,उतना ही मान पाया - बहे लोर नैन जितना, टूट अपने तलाशे हैं खेरू- खेरू जींद ,विचों अपना भी नाम आया - सोचा न किसने अपना, दामन छुड़ाया वीर गुमनाम राहों ने भी, आखिर मुकाम पाया - उदय वीर सिंह