शनिवार, 30 जून 2018

सुहाग तो सुहाग होता है -


उसे नफ़रत सिर्फ अन्धेरों से है 
जलता है तो बेहिसाब जलता है 
देखता है दर दयार फिरका 
रोशन चिराग तो चिराग होता है -
लाख बंदिशों में भी जुदा नहीं 
काँटों की सेज पर भी हुनरमंद 
समझा लेता है सुनी आँखों को 
वीर ख्वाब तो ख्वाब होता है -
लगा देते हैं दामन में फितरती 
ता-उम्र बे-जार रोने के लिए 
कुछ लग जाते हैं शौको शान में 
बेशक दाग तो दाग होता है -
किसी मांग में सिंदूर का होना 
बेख़ौफ़ बयां करता है हनक माही की 
बदले खुदाई भी बहुत फीकी है 
वीर सुहाग तो सुहाग होता है -
गमलों में बरगद भी उगने लगे 
बेल अमलतास नागफनी गुलाब 
यहाँ परिंदों के घर झूले नहीं बनते 
एक बाग़ तो बाग़ होता है -
उदय वीर सिंह



रविवार, 24 जून 2018

आप के इंतजार में ख्वाब ...

आप के इंतजार में ख्वाब बैठे हैं
वो कह रहे थे हम जाग बैठे हैं -
बिछी है मगहर में कमली उनकी
आप काशी काबा प्रयाग बैठे हैं -
आसमां एक जमीं मिली कमोबेस सबको
आप हैं की ले नया राग बैठे हैं -
कोयल की मांग थी जमाने को
कंगूरो बाग में अब काग बैठे हैं -
ग्रंथ कहते हैं मानवता से बड़ा कोई
ये सूत्र वाक्य भी त्याग बैठे हैं
सहेज रखता है पन्नो को माजी
गौर से देखिए कितने दाग बैठे हैं -
आस्तीन में न्याय प्रेम रखिए
टटोल कर देखिए नाग बैठे हैं
भरोषा रखिए मीरीऔर पीरी का
गुरुज्ञान के तमस में चिराग बैठे हैं -
उदय वीर सिंह

रविवार, 17 जून 2018

शहीदी पर्व गुरु अर्जन देव जी महाराज

शहीदी पर्व - [वलिदान मेरा संस्कार है ... धर्म मेरा प्यार है ]
विनम्र श्रद्धांजलि ...... !
अमर शहीद पंचम गुरु, गुरु अर्जन देवजी महाराज !
॥जपियों जिन अर्जन देव गुरु ॥संकट योनि गरभ न आयो ॥ वाणी 
 सिक्ख धर्म के पंचम गुरु अर्जन देव जी महाराज [जन्म 15 अप्रैल 1553 गोबिंदवाल साहिब पंजाब । वलिदान दिवस 16 जून 1606 डेरा साहिब लाहौर पाकिस्तान ] माँ भानी जी व पिता गुरु रामदास जी महाराज के आँगन अवतरण। 
 मुग़ल बादशाह जहाँगीर के शासन काल में इस्लाम कबूल न करने,भारतीय संस्कृति संस्कारों की आवाज बुलंद करने भारतीयता की जड़ों को मजबूती व सिंचन के आरोप में मृत्यु के दुर्लभतम यातना के अमानवीय तरीकों द्वारा गुरु महाराज को मृत्युदंड दिया गया । फिर भी वे अपने संकल्प विचार संस्कार संस्कृति को लेस मात्र भी धूमिल नहीं होने दिए, असह्य कष्टो तसीहों आरोपों से विचलित नहीं हुए,अटल रहे अपने अनुयायियों के अटल प्रेरणा स्रोत बने रहे।
उनके शहादत दिवस पर अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनकी विरासत के सच्चे वारिस बन सकें अरदास करते हैं ।
उदय वीर सिंह

शनिवार, 16 जून 2018

इंतजार में ख्वाब बैठे हैं ....

आप के इंतजार में ख्वाब बैठे हैं
वो कह रहे थे हम जाग बैठे हैं -
बिछी है मगहर में कमली उनकी
आप काशी काबा प्रयाग बैठे हैं -
आसमां एक जमीं मिली कमोबेस सबको
आप हैं की ले नया राग बैठे हैं -
कोयल की मांग थी जमाने को
कंगूरो बाग में अब काग बैठे हैं -
ग्रंथ कहते हैं मानवता से बड़ा कोई
ये सूत्र वाक्य भी त्याग बैठे हैं
सहेज रखता है पन्नो को माजी
गौर से देखिए कितने दाग बैठे हैं -
आस्तीन में न्याय प्रेम रखिए
टटोल कर देखिए नाग बैठे हैं
भरोषा रखिए मीरीऔर पीरी का
गुरुज्ञान के तमस में चिराग बैठे हैं -
उदय वीर सिंह


शनिवार, 9 जून 2018

पाँवों मेंजंजीरें थीं

गंतव्य मेरे मानस मन में
रुँध पाँवों में जंजीरें थीं
हाथ हमारे कलम हमारी
हर तरफ तनी शमशीरें थीं -
स्तब्ध था मैं प्रारव्ध देख
निज हस्त प्रबल लकीरें थीं -
पुण्य प्रसून मोद की आशा
स्वागत कमान और तीरें थीं -
धूल धूसरित पैबंद बसन मम
वहाँ रत्न जड़ित तस्वीरें थीं -
भरे राज सिंहासन तन से
अवशेष प्रचुर सलीबें थीं -
उदय वीर सिंह