मंगलवार, 21 मार्च 2023

गुलाम से प्यार ..


 





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ये कान  फ़रेब पर ऐतबार जियादा करते हैं।

ये मालिक गुलाम से पियार जियादा करते हैं।

पगार तो मुई खलिस दूज का चांद लगती है,

दरबारी  इनाम  से  पियार जियादा  करते हैं।

जमाना मशगूल रहता है तलाश में हीरे  की,

जमाल से कमतर इश्तिहार जियादा करते हैं।

कांटों की वसीयत में फूलों की चाशनी रखते,

मक्कार भरोषे का कारोबार जियादा करते हैं

उदय वीर सिंह।

रविवार, 12 मार्च 2023

हर आंख सवाली नहीं होती...


 






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माना कि यहां सवाल बहुत  हैं जी,

मगर हर आँख  सवाली नहीं होती।

माना कि बहुत कमीं है मसर्रत की,

मगर  हर  झोली  खाली नहीं होती।

माना  बाजार नफ़ा- नुकसान का है, 

मगर हर सौदों  में दलाली नहीं होती।

हसरतों को जमीन मिले सब चाहते हैं,

होली तो किसी की दिवाली नहीं होती।

तन का लाल खून बहता जिस नस से

वह गोरी  किसी की काली नहीं होती।

उदय वीर सिंह।

शनिवार, 11 मार्च 2023

जमाने लगे.....


 






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जमाने  लगे  सच का सत्कार करने में।

पल  न  लगा झूठ का व्यापार करने में।
जलता रहा दौर  साजिशो  फ़रेबी आग,
लश्कर लगे रहे सच को लाचार करने में।
झूठ  की परत अनवरत मोटी होती गयी,
झूठ  लगा रहा सच को तार तार करने में।
झूठ की  सोहबत शौक, शान  बनने लगी,
मौत नसीब हुई सच को स्वीकार करने में।
ये सच है कि सच कोई फूलों की सेज नहीं
बहुत  मुश्किल  है सच पे एतबार करने में।
उदय वीर सिंह।
10।3।23

बुधवार, 8 मार्च 2023

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस


 


.विश्व महिला दिवस  (8 मार्च)की

बधाई मित्रों !..✍️


संस्कार की बात करें तो कलम
संस्कारी हो जाये।
पूर्वाग्रहों  को तोड़ मुख्य-धारा में
नारी हो जाये।
ताड़ना की अभिव्यक्ति को  मोक्ष
दे पाएं,
नारी समतल धरातल की निर्विवाद
अधिकारी हो जाये।
उदय वीर सिंह।

रविवार, 5 मार्च 2023

इश्तिहारों से मिलते हैं...







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चलो हम इश्तिहारों से मिलते हैं।

खूबसूरत रंगो बहारों से मिलते हैं।

ठहरा खाली पेट  कोई बात नहीं,

भरे हुए कागज़ी नारों से मिलते हैं।

ये जमीन तो कदमों के नीचे है जी,

चलो सूरज चांद तारों से मिलते हैं।

आमो-खास के हैं ये दयार खुले हुए,

चलो  ऊंची  दीवारों  से  मिलते हैं।

अमन तो आग से है कोई बचा नहीं,

चलो हारे हुए किरदारों से मिलते हैं।

मिठास पकवानों के ख़्वाब में रह गई,

हैं  खाली हाथ त्योहारों से मिलते है

उदय वीर सिंह।