शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

कुछ भटके हुए लोगों से ......


कुछ भटके हुए लोगों से .....
वतन में ही रहकर वतन ढूढते हैं,
अपने ही घर का पता पूछते हैं -
दीपक बुझाकर उजाला मिला है,
डूबो कर के किश्ती खता पूछते हैं -
बोकर बबूलों का जंगल उदय ,
काँटों से काफ़िर वफ़ा पूछते हैं -
दीवारों से छत का वास्ता पूछते हैं
बाँध आँखों पर पट्टी रास्ता पूछते हैं -
पेट पर पीठ पर बाँध बारूद बम,
चौक कैसे हुआ हादसा पूछते हैं -
-उदय वीर सिंह

रविवार, 26 जनवरी 2020

पावन गणतंत्र दिवस



🇮🇳
पावन गणतंत्र दिवस की शुभ-संध्या पर देश-प्रेमियों को नमन, शुभकामनाएं.....
आजादी की लौ -दीप कायम रहे
हम वतन के रहें,प्रीत कायम रहे -
मखमली मखमली भावनाएं रहें ,
मातृ-भूमि की शुभकामनाएं रहें -
राष्ट्र-प्रेमी बनें दिल मुलायम रहे -
सिर हथेली पर हो ,मान ऊँचा रहे
शुभ तिरंगे का प्रतिमान ऊँचा रहे -
विश्व-बंधुत्व की रीत कायम रहे -
भारत माँ का गगन तक जैकारा रहे ,
माँ -चरण शीश अर्पण हमारा रहे -
वन्देमाँतरम का युग गीत कायम रहे -
उदय वीर सिंह

शुक्रवार, 24 जनवरी 2020

मेरी छोटी सी घारी अटारी लगे ..



मेरी छोटी सी घारी अटारी लगे

खाली मुट्ठी ही मेरी पिटारी लगे -
घात-प्रतिघात जबसे चलन हो गया
आँख अपनों की कातिल शिकारी लगे-
वेदना बस गयी उम्रभर के लिए
बूंद शबनम की तपती अंगारी लगे -
प्रीत ही हमने बांचा ,संवारा सदा,
जाने कैसे किसी को ये गारी लगे -
हाथ पकड़ा तो रस्ता सरल हो गया,
आज चाहा पकड़ना बिमारी लगे -
घोर बिपदा में कांटे भी कोमल लगे
आज कंगन भी छुरी कटारी लगे -
हमने माँगा ही क्यों आज पछता रहा
हाथ अरदास के ही भिखारी लगे -
आज सोचा बहुत ,बैठ रोया बहुत
कैसे अपनों को अपने ही भारी लगे -

उदय वीर सिंह





रविवार, 19 जनवरी 2020

इश्तिहारों में कुछ और है ,बाजारों में कुछ और ...

इश्तिहारों में कुछ और है , बाजारों में कुछ और,
शाख शज़र वीरान हुए ,माली कहता कुछ और -
माली कहता कुछ और गगन में घर बहुत बनवाये
जाकर बसों आनंद मोद ,जब धरा पसंद न आये -
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ओ.डी.एफ.हो गया है देश ,गंगा में अमृत धार बहे ,
भूखमरी का ऊँचा स्तर,महंगाई का ऊँचा ज्वार रहे -
महंगाई का उंचा ज्वार रहे मिट जाएँ याचन के हाथ
खंड प्रलय की बात हो ना बाजेगी बांसुरी न रहेगा बांस-
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जितनी शिक्षा महँगी होगी,उतनी गुणवत्ता आएगी
सबको शिक्षा ठीक नहीं,सिर्फ धनवानों को मिल पायेगी -
सिर्फ धनवानों को मिल पायेगी ,देश उज्वल होगा ,
सिर झुका रहेगा सम्मुख जनमानस जितना निर्बल होगा -
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जब निर्धन के घर राम रहेंगे, रामराज आ जायेगा
मौन रहा इस लोक में प्यारे परलोक मोक्ष पा जायेगा -
परलोक मोक्ष पा जायेगा ,पीछे स्वजन सुख पाएंगे
मौलिक अधिकार अपव्यय हैं ,जो आये सो जायेंगे -
उदय वीर सिंह

शनिवार, 18 जनवरी 2020

चिंगारियां तय करो ... ....

हिस्सेदारियों से पहले जिम्मेदारियां तय करो,
कर्ज बहुत हो गया है वीर ,देनदारियां तय करो-
मुक्त हो जाये अपना देश घातक बिमारियों से,
पहले हर चोले- चेहरों से वफादारियां तय करो-
समय मांगता है जागना किसी तूफ़ान से पहले
सर्द हो जाए ये जिंदगी कि चिंगारियां तय करो -
उदय वीर सिंह

शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

बन्दूक नकली ..रंगदारी बड़ी मिली ...


छोटे से हाथ जमींदारी बड़ी मिली,
बन्दुक नकली,रंगदारी बड़ी मिली
कबूतर उड़ गए शिकारी जाल लिए,
उन्हें कोई जानकारी बड़ी मिली-
वफादार ढूंढता रह गया ले चिराग,
गद्दार को वफादारी बड़ी मिली-
मिले खुले दरवाजे रोजगार के
मिली तो बे-रोजगारी बड़ी मिली -
गरीब की थाली बे-निवाला रह गयी
अमीर को बे-मांगे उधारी बड़ी मिली -
उदय वीर




सोमवार, 13 जनवरी 2020

जिस राह से हम इंसान बने ...

आदिमता को जो आदर्श कहो ,
उन आदर्शों से किनारा करता हूँ-
पशु उच्च कहो , जो मानव से ,
उस दर्शन से किनारा करता हूँ -
जिस राह से चल ,इंसान बनें ,
उस पथ को उजारा करता हूँ-
चाह नहीं पियूष घट - कंचन , ,
जल -निर्झर से गुजारा करता हूँ -
वेद कतेब की बात रखो अपने तै -
दर मानवता का संवारा करता हूँ -
मानुष की जाति एकै पहचानों
नित गुरु- मंत्र उचारा करता हूँ -
जिन द्वारों ने मुक्ति द्वार दिए ,
वो द्वार पखारा करता हूँ -
आयेंगे जिस पथ विश्व गुरु ,
उस पथ को निहारा करता हूँ -
उदय वीर सिंह

मंगलवार, 7 जनवरी 2020

हम इन्सान पहले .मजहबी बाद में ..


जिंदगी पहले है,जायका बाद में
पहले सिंदूर है, मायका बाद में-
हर युगों में रही पावनी प्रीत है
वफ़ा पहले है , बे-वफ़ा बाद में -
जिंदगानी हँसे ,जिंदगी दीजिये,
सच्चा सौदा है पहले नफ़ा बाद में-
गीत के मंच पर साज बजते रहें
पहले इन्सान हों मजहबी बाद में -
आरजू भूख को रोटियां चाहिए ,
पहले पूरे करो ,वायदा बाद में -
इस सफर में अनेकों कदम रखने हैं
मंजिलें पहले हैं अलविदा बाद में -
उदय वीर सिंर