🙏शाहे शहंशाह दशम पातशाह,साहिबे क़माल सरवंश दानी गुरु गोबिंद सिंह साहिब जी महाराज, के पावन प्रकाश पर्व की समस्त मानव जाति को लख- लख बधाई व शुभकामनाएं।
" जो तो प्रेम खेडन का चावो।
सिर धर तली गली मेरे आओ।
जेह मारग पैर धरीजै ,
शीश दीजै कान्ह न कीजै।"
- दशम पातशाह जी
देह सिवा वर मोहि इहै
सुभ करमन ते कबहूं न टरौं
न डरौं अरि सों जब जाइ लरौं
निश्चय कर अपनी जीत करौं।
(चंडी छस्तीत्तर से)
भारतीय संवत्सर के अनुसार गुरु गोबिंद सिंह साहिब का लोक अवतरण प्राकट्य काल मिती पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी, संवत 1723 में व ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार 22 डिसम्बर 1666 ई. को पटना ( बिहार राज्य ) में है।
उनका पारगमन काल मिती 17।10।1708 नांदेड़ (महाराष्ट्र) है।
जमिया वीर अगम्मणा वरियाम अकेला
वाहो! वाहो! गोबिंद सिंहआपे गुरु चेला।
पिता नवम पातशाह अमर वलिदानी श्री गुरु तेगबहादुर जी महाराज।
माता- अमर वलिदानी माता गुजर कौर जी
पुत्र-
1-अमर वलिदानी साहिबजादा अजीत सिंह जी।
2 - अमर वलिदानी साहिबजादा जुझार सिंह जी।
3 -अमर वलिदानी साहिबजादा जोरावर सिंहजी
4- अमर वलिदानी साहिबजादा फतेह सिंह जी
पुत्री- 1- अमर वलिदानी बीबी शरण कौर (हरि शरण कौर जी)
निखिल विश्व के महानतम चिंतकों दार्शनिकों राजनेताओं कूटनीतिज्ञों राष्ट्राध्यक्षों सेनापतियों आचार्यों रणनीतिकों इतिहासकारों ने गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के विषय में अपने अनमोल विचार व्यक्त किये हैं।
संदर्भ-The exillance of Guru Gobind Singh .- (सरूप सिंह अलघ)
संक्षिप्त में सार यही कि श्री गुरु महराज के त्याग वलिदान प्रेम सेवा पौरुष साहस शौर्य पराक्रम ...का इस दुनियां में कोई सानी नहीं।
अल्ला याद खां जोगी जी के शब्दों में-
मैं तेरा हूं, बच्चे भी मेरे तेरे हैं मौला !
थे तेरे ही, हैं तेरे, रहेंगे तेरे दाता !
जिस हाल में रक्खे तू, वही हाल है अच्छा !
जुज़ शुक्र के आने का ज़बां पर नहीं शिकवा !
***
करतार की सौगन्द है, नानक की कसम है ।
जितनी भी हो गोबिन्द की तार्रीफ़ वुह कम है ।
पीर बुल्ले शाह के शब्दों में-
" न कहूँ अबकी ना कहूँ तबकी
न होते गुरु होबिन्द सिंह सुन्नत होती सबकी।"
जिनकी बदौलत आज भारत की संस्कृति, संस्कार,आचार, गौरव भारत ही नहीं पूरी दुनियां में उच्च मानदंडों को स्थापित किया है जिसका युग युग ऋणी रहेगा ।
हमें गर्व है हम उनके वारिस उनके पथ के सेवादार हैं।
उदय वीर सिंह।