कब तक तूं झूठे फ़साने लिखोगे

मांगी दुआ दर - दीवारों से तेरी
समझ,नाससमझ तूं दीवाने लिखोगे -
जला जिनका जीवन बचाने में तुमको
उन्हें आशिक जूनूनी परवाने लिखोगे -
करोगे फरेबी , फरेबों की बातें
कहीं का कहीं तुम ठिकाने लिखोगे -
परिंदों के मानिंद ठहरोगे तब तक
जब आएगा पतझड़ कहीं जा बसोगे -
उदय वीर सिंह