रविवार, 29 मार्च 2020

याचन में गंतव्य लिए ...


वेदन बेबस निर्बलता ,बहुत दूर तक छाई है
याचन में गंतव्य लिए सडकों पर उतर आई है -
आये थे सुरक्षित करनेको दुर्दिन सेजीवन अपना,
दुर्दिन को बांधे पेट-पीठ,ले लौट चले टुटा सपना-
मालिक मजदूर अबल क्यों ढेले पत्ते सा साथी हैं ?
शंसय दुर्भाग्य नियति, क्या जीवन के अपराधी हैं ?
छाँव ढूढ़ते बादल के ,हो विकल बरसते तापन में
कंदुक से मारे-मारे फिरते सबल राष्ट्र के आँगन में -
अनिश्चित जीवन प्रश्न-चिन्ह प्राचीर मनस में पाई है
इस पार करोना बैठा है ,उस पार पर्वत और खाईं है -
उदय वीर सिंह


शनिवार, 28 मार्च 2020

गम को आस-पास मत रखिये ...


दिल को उदास मत रखिये
गम को आस-पास मत रखिये -
लौट कर फिर आएगी वो ख़ुशी
प्रीत को निराश मत रखिये -
जरा देर तक ठहर गया तूफ़ान है,
मुद्दतों का कयास मत रखिये -
हर जीव शरीक है आपकी गर्दिशी में
आप अकेले हैं अहसास मत रखिये -
दस्तक है अनजान छुपे दुश्मन की ,
छोटी जमीन छोटा आकाश मत रखिये -
उदय वीर सिंह


शनिवार, 21 मार्च 2020

करोना का अंत ..मानव -जीवन की सुबह


करोना का अंत ..मानव-जाति की सुबह ....
महाविनाश के इस विषाणु का एकजुट हो अस्ताचल ढूंढें ,
मानव की रक्षा निश्चित हो , मानवता का परिमल ढूंढें
राग-द्वेष,पाखण्ड नहीं ,धर्म -जाति ,वर्ग भू-खंड नहीं ,
विपदा के इस काल-खंड में,शुभ सबका कल उज्वल ढूंढें -
अपना और पराया छोड़ ,लाभ - हानि का लोभ , मोह
जीवन से नेह अनुराग रहे , सेवा,सहकार का पल ढूंढें -
उदय वीर सिंह



शुक्रवार, 13 मार्च 2020

अर्थ शाला गिरी तो कोई गम नहीं ......


देश में उत्सवों का इजाफा हुआ
मधुशाला का मोटा मुनाफा हुआ
अर्थशाला गिरी तो कोई गम नहीं
धर्मशाला के ऊपर सियापा हुआ-
शिक्षा और समृद्धि ने तोड़ें हैं घर
ज्ञानी कहते हैं इनसे तमाशा हुआ -
कोयले से निकल कैद होता रहा
वीर अभिशप्त हीरा तराशा हुआ -
उदय वीर सिंह





शनिवार, 7 मार्च 2020

जीना सीखिए ....


पड़ोसी की भी खुशहाली देखना सीखिए,
घी नहीं आग पर पानी फेकना सीखिए -
जब से ईमान बेचे-ख़रीदे जाने लगे हैं वीर
पत्थरों की बरसात में दिल सहेजना सीखिए -
तूफ़ान दरिया ही नहीं साहिल को भी छूता है,
पहले भंवर से किश्ती को खींचना सीखिए-
फल नहीं तो छाँव ,मयस्सर होगी जरुर,
बनकर हमदर्द बिरवों को सींचना सीखिए-
मुतमईन होईये मिल्खा बोल्ट से बेशक
आपके तो पाँव हैं,बे-पांवों से चलना सीखिए-
आप तो भरे पूरे परिवार के चश्मों चिराग हैं
जिनका कोई नहीं उनसे भी जीना सीखिए -
उदय वीर सिंह



रविवार, 1 मार्च 2020

हमने देखा वही जो दिखाया गया ....

हमने देखा वही जो दिखाया गया
पीछे परदे के क्या क्या छिपाया गया -
एक मंदिर इधर,एक मस्जिद उधर ,
मरता इंसान सडकों पर पाया गया -
ये हमारा वतन ,वो तुम्हारा वतन
एक वतन वीर कपड़ों सा फाड़ा गया -
घर संवेदनाओं के , खाली मिले ,
एक भाई ,एक भाई से मारा गया -
हिन्दसागर भी था व् हिमालय भी था
जोत खसरे में महलों के पाया गया -
आग ऐसी लगी कि अदब जल गया ,
आई तहजीब खूनी भाई-चारा गया -

उदय वीर सिंह

प्रीत के पाँव आयेंगे .....


ह्रदय के द्वार हों खुल्ले ,ना बंद रखना जी
प्रीत के पाँव आयेंगे,कदी ना गंद रखना जी -
भरे हों नैन भावों से हंसी होठों पे रखियेगा
हृदय हो प्रेम का सागर, ना तंग रखना जी
नेह रसधार में भींगे मान सम्मान की वीथी
हाथ अरदास रखना जी, मकरंद रखना जी -
पत्थर भी अपना दिल ,पत्थर नहीं रखता,
प्रीत फूलों सी कोमल है प्रेम-अनुबंध रखना जी -
उदय वीर सिंह