
फ़सानों ने दी है इतनी शोहरत ,
कि चाहता हूँ कुछ बाँट दूँ तुमको......
मुझे दवा देगा-
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दर्द मेरा , मुझे दवा देगा
दरम्यां शोलों के हवा देगा-
हांथों पे ईमारत, खड़ी नहीं होती ,
हाथों से ताजमहल बना देगा-
दिल में क्या छिपा हुआ है मंजर
वक्त आने पर , बता देगा-
तूफां के काफिलों से बेखबर नहीं
आशियाना समंदर को बना लेगा -
पास जिसके दिल नहीं, दौलत रही
वो गरीब किसी को क्या देगा-
मेरे रोने की अदा तुम्हें हंसाएंगी,
मत आना पास मेरे तुम्हें रुला देगा-
- उदय वीर सिंह