गुरुवार, 28 मार्च 2024

बाहर लेके जाएगा...✍️






 घर -बार लेके जाएगा......✍️

लगता  तूफ़ान  घर बार लेके जाएगा।

खेत खलिहान व व्यापार लेके जाएगा।

आयी  दरार  एक  आंगन की भीत में,

ईद व दिवाली का त्योहार लेके जाएगा।

टूटे  न  टूटा  कभी  मौसम की मार से,

दिल में संजोया  ऐतबार  लेके लाएगा।

रंगे- बिरंगे,  गुल, गुलशन  में  आये थे, 

नोच-नोच शाखों से बहार लेके जाएगा।

रूठते  मनाते  भाई दुःख सुख सहते थे,

देके आघात दिल से प्यार लेके जाएगा।

रूखी- सुखी दाल- रोटी खाते पकाते थे,

देके बेबस लाचारी रोजगार लेके जाएगा।

उदय वीर सिंह।

रविवार, 24 मार्च 2024

मुश्कें मरोड़ देगा....✍️


 





मुश्कें मरोड़ देगा...✍️

हथकड़ी  बेड़ी  कुदरती  नहीं तोड़ देगा।

आजादी  का परवाना गुलामी छोड़ देगा।

कोई दरिया भी बेलगाम नहीं हो सकती,

इंसाफपसंद  बांध बना रास्ता मोड़ देगा।

भंवर  मुसाफ़िर को  इतना  भी न डराना

पुल बनाकर दोनों साहिलों को जोड़ देगा।

कितना भी मजबूत हों टिकते  नहीं  वीर,

ईमान  झूठो फरेब  का  भांडा  फोड़ देगा।

खामोशी व सब्र के औजार निष्क्रिय नहीं,

वक्त आने पर जबर की मुश्कें मरोड़ देगा।

उदय वीर सिंह।

शुक्रवार, 8 मार्च 2024

सूना सूना सच









सूना सूना सच ....✍️

एकअकेली जिंदगी दुश्मन हजार देखे।

ईमान की चौड़ी छाती हजारों वार देखे।

मुँह मोड़ लेती हैं फ़िजाएँ भी कभी-कभी

सूना सूना तन्हाई में सच का दरबार देखे।

फरेब  की  दीवारों का  पहाड़  हो जाना

फरेबी एक उसके  हजारों किरदार देखे।

इल्जाम  तो लगा मुजस्सिमों पर आखिर

लूट  में शामिल काफिले का सरदार देखे।

सुर्खियों में आई कल ईमानदारों की सूची

अव्वल दर्जे में कई बेईमान दाग़दार देखे।

उदय वीर सिंह।