विकसित-घर की परिकल्पना ,
या जुआ -घर
रंग-मंच मानिंद
आरम्भ है ,
फरमान ,अहसान ,पीड़ा ,अपमान ,
सम्मान ,कुंठा व्यथा ,
अभिमान का घर /
अभिजात्य होने का दंभ,
आदर्शों से कहीं दूर ,
छल,छद्म,घात-प्रतिघात ,
शिष्टता ,सभ्यता की तिलांजलि,
उपहास ,प्रहसन ,व्यंग का प्रमाद
अभिलाषा प्रतिकार का घर .../
परायों में अपना
अपनों में पराये का दंश
उन्माद भौड़ापन ,
असहिष्णुता का नंगा -नाच
अंतरंगता की नुमायिस
का घर /
सन्देश दे रहा है .....
हम चाँद पर जाने वाले हैं ,
भारहीनता की स्थिति को
संयोजित करना है ,
शायद संस्कृति को
परिष्कृत कर रहा है ...
इसीलिए ,बास का घर ,
ग्रेविटी !
कम कर रहा है ...
उदय वीर सिंह .
३१/१०/२०११
परायों में अपना
अपनों में पराये का दंश
उन्माद भौड़ापन ,
असहिष्णुता का नंगा -नाच
अंतरंगता की नुमायिस
का घर /
सन्देश दे रहा है .....
हम चाँद पर जाने वाले हैं ,
भारहीनता की स्थिति को
संयोजित करना है ,
शायद संस्कृति को
परिष्कृत कर रहा है ...
इसीलिए ,बास का घर ,
ग्रेविटी !
कम कर रहा है ...
उदय वीर सिंह .
३१/१०/२०११