शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

कलम कुछ और कहती है..


 





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कागज़ कुछ और कहता है,

कलम कुछ और कहती है।

अजमत में सुख़नवर की, 

सुखन कुछ और कहती है।

किराए की ईमारत में हुए

बहुत जलसे किराए पर,

महफ़िल कुछ और कहती है,

नज़म कुछ और कहती है।

कहीं भूला मुसाफ़िर रास्ता, 

या भुलाता है जमाने को,

रास्ते कुछ और कहते हैं,

मंजिल कुछ और कहती है।

आख़िर कांटों की अदालत में 

मुल्तवी हो गए मसले,

ज़ख्म कुछ और कहते हैं,

चुभन कुछ और कहती है।

उदय वीर सिंह।

मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

साहिबजादा दिवस ' 27 दिसम्बर '







🙏नमस्कार मित्रों!

एक सुखद अहसास...

  आदरणीय योगी आदित्य नाथ जी महाराज " मुख्यमंत्री " उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा " अद्वितीय अमर वलिदानी गुरु-पुत्रों की शहादत को मान व सम्मान देते हुए  " 27 दिसंबर " की तिथि को " साहिबजादा दिवस " के रूप में घोषित कर मनाने का राजकीय व संवैधानिक  निर्णय ले सिक्ख धर्म-दर्शन रीत व वलिदानों का मर्यादित अभूतपूर्व साहसिक सम्मान किया है। हृदय से उनकी कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।

   उल्लेखनीय है (21 दिसम्बर 1705 से 27 दिसंबर 1705 ) के बीच दशमेश पिता गुरुगोबिंद सिंह जी महाराज के चारों पुत्रों एक पुत्री, साहिबजादा अजीत सिंह जी (17 ) साहिबजादा जुझार सिंह जी ( 14) चमकौर की जंग में तथा साहिबजादा  जोरावर सिंह जी (11) साहिबजादा फतेह सिंह जी ( 7 ) को सरहिंद में जिंदा दीवार में चिनवा कर शहीद किया गया । एक मात्र गुरु-पुत्री बीबी हरिशरण कौर जी (14 ) ने गुरु-पुत्रों व चालिस गुरु-सिक्खों का अंतिम संस्कार करते समय (चमकौर रण भूमि में ) अप्रतिम अकल्पनीय शहादत पाई। बेनज़ीर फरजंदों का यह राष्ट्र ऋणी है।

 यशश्वी मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज को इस सम्मान व सत्कार के लिए नमन व वंदन।

उदय वीर सिंह।

सोमवार, 27 दिसंबर 2021

स्वयं प्रथम वलिदान करो....




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हार , विजय  - पथ  देती  है,
बीता  अतीत   संज्ञान  करो।
उपदेश   नहीं   संकल्प  वरो,
स्वयं  प्रथम  वलिदान  करो ।
देश, धर्म  का ध्वज ऊंचा हो,
गुरु सिक्खी पर अभिमान करो।
उदय वीर सिंह।

रविवार, 26 दिसंबर 2021

शहादते पीरां...



🙏
शहादते पीरां 

( 27 दिसंबर 1705 )

फरजन्दों की शहादत पर अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि...।

अमर शहादत बाबा जोरावर सिंहजी 7- वर्ष 11-माह और बाबा फतेह सिंह जी 5-वर्ष 11-माह की।

स्थान - सरहिंद (आज का फतेह गढ़ साहिब)

दौर- मुगलिया सल्तनत (औरंगजेब)

अमर वलिदानी माजी के पन्नों से -

" मौत रोई जगत रोया ,धरती रोई गगन रोया "

1-बाबा जोरावर सिंह जी 

जन्म [28 Nov 1695 आनंदपुर साहिब 

शहादत 27 Dec 1705 सरहिंद ] 

2- बाबा फतेह सिंह जी

जन्म  [ 22 Dec 1699 आनंदपुर साहिब

शहादत ( 27Dec 1705 सरहिंद )

संक्षिप विवरण-

माता जी - गुरुमाता सुंदरी जी।

दादी माँ - गुजर कौर जी 

पिता - गुरु गोबिन्द सिंह जी

दादा जी- गुरु तेग बहादुर जी महाराज। 

गुनाह - 

धर्म से सिक्ख होना,

देशभक्ति ,कौम का वफादार सिपाही होना अपने संस्कारों पर अडिग रहना , इस्लाम स्वीकार नहीं करना । मां- पिता के संस्कारों ( सिक्खी) मूल्यों की अंतिम स्वांस तक रक्षा करना । 

सजा - 

मृत्यु-दंड  (जिंदा दीवार में चुनवा कर )

संकल्प - धर्म की फतहि

संदेश - वाहेगुरु जी दा खालसा वाहे गुरु जी दी फतेह।

आदर्श - गुरु गोबिन्द सिंह जी 

पहचान -पंच ककार 

सूत्र वाक्य - देहि शिवा वर मोहे है शुभ कर्मन ते कबहुँ न डरो ..।

कर्म - धर्म की स्थापना ,ज़ोर जुल्म का प्रतिकार।

- विश्व के सबसे कम उम्र के वलिदानी जिनका सूबा सरहिंद की अदालत में मुकदमा चला जिसमें अपनी वकालत वे स्वयं कर रहे थे।

- दादी माँ ( गूजर कौर जी )के पावन सानिध्य में रह अपने संस्कारों दायित्वों और खाई कसमों को सहर्ष प्राण देकर निभाया । यह अजूबा शौर्य  पूरी दुनियां के इतिहास में कहीं नहीं मिलता ।

    पौष की रात ( दिसम्बर 20/12/1705)गुरु-परिवार सिरसा नदी तट से धर्म रक्षार्थ खेरू - खेरू हो गया । माँ ,पिता , पुत्र,भाई  घर सगे संबंधियों से आततायी मुगल सल्तनत व पहाड़ी हिन्दू राजाओं के चौतरफा हमले के कारण,गुरु -पारिवार का एक दूसरे से बिछोड़ा हो गया ।

   नदी सिरसा तट से दशम पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज अपने दो बड़े पुत्रों बाबा भाई अजित सिंह ,बाबा जुझार सिंह जी व चालीस गुरु सिक्खों सहित चमकौर सहिब की कच्छी गढ़ी की ओर गए। जहां 22/12/1705 को अकल्पनीय अदम्य शौर्य के देवों ने चमकौर की जंग में युग-बोधक शहीदी पाई। सद्गुरु दशमेश पिता शांत अविचलित हो धर्म के  अग्नि कुंड में अपने लालों की समिधा दे रहे थे । युग समय स्तब्ध था ,जुल्म ही नहीं सितमगर भी आवाक खौफ़जदा थे। साक्ष्य स्वरूप उस स्थान पर गुरुद्वारा चमकौर साहिब आज विराजमान हैं।

  माता गुजरी जी अपने दो पोतों बाबा जोरावर सिंह उम्र छह साल और बाबा फतेह सिंह उम्र नौ साल को  साथ लेकर गुरु-घर के रसोईया पंडित गंगू के पहल पर इन अद्द्भुत अप्रतिम फरजदों के साथ कोतवाली मोरिंडा स्थित उंसके घर को चलीं,जहां गद्दार गंगू ने धन और ईनाम,पद के लोभ में माता जी व गुरु पुत्रों को अगली सुबह माता जी की दी अमानत को हड़प वजीर खान की गारद से दादी समेत दोनों पोतों को गिरफ्तार करवा दिया। गुरु परिवार व गुरु सिक्खों पर मुगलिया सल्तनत ने करोड़ों के इनाम रखे थे।

   अकथनीय यातना अंतहीन पीड़ा मानसिक संत्रासों के बावजूद बेनजीर फरजर्दों ने इस्लाम कुबूल नहीं किया।  वज़ीर खां ने इन गुरुपुत्रों को जिंदा दीवार में चिनवाने का हुक्म दिया। दिसम्बर 26/12/1705 को इन्हें दीवार में जिंदा चिनवा दिया गया।

   इस पावन स्थल पर आज गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब साक्ष्य स्वरूप विराजमान हैं।

   यह मर्मान्तक सूचना पाकर ठंढे सर्द 140 फ़ीट ऊंचे बुर्ज में कैद दादी माँ ने अपने प्राण त्याग इह लोक से चलाना कर गए।

  अमर वलिदानियों ने अपने देश धर्म वचन कर्तव्य संस्कार मूल्यों के रक्षार्थ अपने प्राणों की आहुति दे दी ,परंतु पथ से विचलित नहीं हुए धर्म ध्वज अटल अडोल रहा।

    न झुका सके जालिम औरंगजेब का फरमान, 

न ही सरहिंद का सूबेदार नवाब वजीर खान की अदालत न गद्दार गंगू पंडित की शिनाख्त ,न ही सुच्चा नन्द की गवाही व मौत की सिफारिस,न ही काजी का फतवा ,न ही सुख ऐश्वर्य,न जीवन का लोभ ही । 

गर्व है हम उनके वारिस हैं ।

उदय वीर सिंह ।

बुधवार, 22 दिसंबर 2021

पतझड़ भी छुपकर रोता है


 






जब माली ही झंखाड़ों को जमने की इजाज़त देता है।

सिर्फ मधुवन ही नहीं रोता, पतझड़ भी छुपकर रोता है।

बाली धान और गेहूं की,गुल गुलाब गुम जाते हैं,

फसल अफ़ीम की लहराती जब बीज ज़हर का बोता है।

मौसम तो दस्तक देते हैंअपने आने की और जाने की,

बर्बादी ही मिलती है जब माली राजमहल में सोता है।

उदय वीर सिंह।

शनिवार, 18 दिसंबर 2021

फूल किसी पर फल देखा है.....


 






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हर साख दरख़्त ने ही संवारी है, 

फूल तो किसी पर फल देखा है।

सौंदर्य का माधुर्य कहीं कम नहीं ,

कहीं गुलाब तो कहीं कमल देखा है।

देखा अम्बर से जमीं पर उतारे ख्वाब,

आज तो किसी ने कल देखा है।

संगमरमरी महल का खुदगर्ज होना, 

झोंपड़ी की आंखों को सजल देखा है।

कम न हई किसी की खूनी प्यास,

किसी को पीते हुए गरल देखा है।

सहरा में छलकता स्वच्छ शीतल नीर,

ऊपर घास नीचे दलदल देखा है।

उदय वीर सिंह।

गुरुवार, 16 दिसंबर 2021

रास्ता आसान हुआ करे....

 







🙏नमस्कार मित्रों!

कागज़ों में जान हुआ करे।

कि सच सरेआम हुआ करे।

पत्थर बनें तो मील का बनें,

कि रास्ता आसान हुआ करे।

बेसहारा न हो कोई जहां में,

सहारा सबके नाम हुआ करे।

कर्म मूल्यों का मानदंड बने,

पथ का प्रतिमान हुआ करे।

भूमि बन जाये वलिदान वरें,

सबका तीरथ धाम हुआ करे।

सुख सदा नहीं रह सकता तो

दुख भी मेहमान हुआ करे।

चाहता है दिल सबकी ख़ैर

सबका मान सम्मान हुआ करे।

उदय वीर सिंह।

रविवार, 12 दिसंबर 2021

....सरदार भाई जी ,✍️








 ........सरदार भाई जी.✍️

ढूंढ लेते नफरत में भी,प्यार भाई जी।

बखरा है सरदारों का ,संसार भाई जी।

मीरी और पीरी का , संस्कार आला है,

मन नीवां मति ऊंची का व्यापार भाई जी।

दिल सागर साहस पर्वत सा मान ऊंचा है,

हर मानुष का गुरु-घर में सत्कार भाई जी।

हकपसन्द वलिदानी हैं गुरुवाणी की ओट,

वचन निभाते देकर शीश सरदार भाई जी।

पहुंचा लेकर तन मन धन दर्द सदा कीआई,

गर्दिश में होकर न होआ गद्दार भाई जी।

उदय वीर सिंह।

रविवार, 5 दिसंबर 2021

मत रखो....




 

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नफ़रतों के लिए जगह मत रखो।

जिंदगी के लिए वज़ह मत रखो।

धूप कभी छांव का आना जाना है,

सिर्फ अपने लिए सुबह मत रखो।

अगर तेरी हार से अमन आता है,

तो बर्बादियों पर फ़तह मत रखो।

वतन है तो हमारी आवाज़ भी है,

किसी को दलदली सतह मत रखो।

उदय वीर सिंह।

शनिवार, 4 दिसंबर 2021

आघातों से समझौता क्यों?








🙏

बिखर गया तो फिर संवरेगा 

आघातों से समझौता क्यों?

दस्तक है पतझड़ की आज

नैराश्य बसंत से होता क्यों?

टूटी है कारा यामा की वीर

धन साहस का खोता क्यों?

मन मानस में प्रीत भरो जी

वैर का विरवा बोता क्यों?

सत्य सदा संबल बनता है,

बोझ असत्य का ढोता क्यों?

हंसने के भी दिन आते हैं,

वेदन में फिर रोता है क्यों?

उदय वीर सिंह।