बुधवार, 26 अप्रैल 2023

चलते रहे तो सहर है ..








🙏नमस्कार सुधि मित्रों !

दिल  में  हौसला  है हसरत है तो सफ़र है।

शब कोई सराय नहीं चलते रहे तो सहर है।

बुलंदियों ने आवाज नहीं  दी  किसी शै को

कद  गुरुर का छोटा हो जाये  तो जफ़र है।

पहचान ले अपना अक्स आदमी आईने में,

जब महफ़ूज शहरी हैं दहशत से तो शहर है।

उदय वीर सिंह।

शनिवार, 22 अप्रैल 2023

जिंदगी तमाशाई न थी.✍️


 



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कितनी सगी थी अपनी थी पराई न थी।

संवेदनशील थी जिंदगी तमाशाई न थी।

पड़ोसी चूल्हा जला कि नहीं ,जांच लेती,

जमीन पर थी आकाश की ऊंचाई न थी। 

साग तेरा, मक्के की रोटी मेरी बांट लेते,

दाल-रोटी  तो थी बज्र सी महंगाई न थी।

माफ कर, माफ़ी  मांग  लेते खताओं  की,

रिश्तों में दर्द था  रकीबपन रूखाई न थी।

हंस कर भूल  जाते कहे का मलाल न था

वीर मोहब्बत से बढ़ कर  कोई दवाई न थी।

उदय वीर सिंह।

सोमवार, 17 अप्रैल 2023

सच्चाईयां लिखूं ✍️








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 किसी  की  बुराईयां   लिखूं

    किसी की अच्छाइयां लिखूं।
इससे बेहतर है कलम कि मैं
         जीवन की  सच्चाईयां लिखूं।
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भीड़ कभी लश्कर नहीं बनते
       नकल कभी नजीर नहीं बनते।
दरवेश   तो   दरवेश  होते  हैं
            दरवेश कभी वजीर नहीं बनते।
उदय वीर सिंह।

व्याज मूल हो गया


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कल  तक एक पेड़ था आज बबूल हो गया।

कलतक अनुकूल थाआज प्रतिकूल हो गया।

मौसम अजीबोगरीब है या हमारी अक्लियत,

कल  तक जो कांटा  था आज फूल हो गया।

ये  दीवारें  हैं इनपर घर बने अपने हिसाब से

कभी दीनी कभी सियासती मकबूल हो गया।

जितना  चुकाया  अबूझ बढ़ता ही गया कर्ज

सरल भाषा में समझा गया व्याज मूल हो गया।

उदय वीर सिंह।

शनिवार, 15 अप्रैल 2023

बैसाखी " खालसा साजना दिवस"


 




🌹 बैसाखी 🌹 

" खालसा पंथ साजना दिवस"

खालसा मेरो रूप है खास...

  - दशम पातशाह।

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बैसाखी आयी यश धन- धान्य  आया।

यतीमी  से  मुक्ति का  फरमान आया।

' ख़ालसा पंथ 'का दिव्य सूरज निकला, 

प्रेम  दया  बराबरी  का  सुल्तान आया।

जान  आयी  मुर्दों में,शमशान शहर हुए,

शानो सम्मान  फतह  का मुकाम आया।

खत्म  हुए  गुब्बारो  गंद  युगों के  छाए,

गुरु सिक्खीका उजला आसमान आया।

उदय वीर सिंह।

मंगलवार, 11 अप्रैल 2023

था आया सगा बन...


 





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था सगा बनके आया, गया घर जलाकर।

थे  बने  चित्र  सुंदर , गया  वह मिटाकर।

नीर  निर्मल  मुसाफ़िर  को  देते  सरोवर,

वैर इतना  पथिक से गया विष मिलाकर।

कितने अरमान  से  पथ  मसीहों ने साजा,

वह  गया  राह  समतल  में रोड़े बिछाकर।

विस्वास  का वध  कुछ  इस तरह हो गया

अश्व छीना ऋषि से, शीश अपना नवाकर।

अब  कहाँ  जाएंगे उड़  परिन्दे  न  मालूम

उजड़े बीरां चमन से डाल अपनी गंवाकर।

उदय वीर सिंह।

शनिवार, 8 अप्रैल 2023

सरमायेदार लगे हुए





 


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झूठ को सच  बनाने  में पैरोकार  लगे  हुए।

तसव्वुर  की  तारीफ़  में  इश्तिहार लगे हुए।

एक तीली की लगाई आग शहर जलने लगा,

बेलगाम हुई आग  तमाशाई हजार  लगे  हुए।

कभी शर्म भी शर्माती होगी बेलाग बेशर्मी पर,

बेशर्मी की सलाहियत में सरमायेदार लगे हुए।

मजलूम बेकसों की मजबूरी समझ मेंआती है कर्जमाफ़ी की सतर में खुद मालदार लगे हुए।

उदय वीर सिंह।

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

सुनहरा दौर आएगा।

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ये उजड़ा हुआ चमन फिर से लहलहायेगा।

फिर पाक नेमतों का सुनहरा दौर आएगा।

उतर  जाएगी धूल गर्द बरसेगा साफ पानी

मुरझाया हुआ गुलशन फिर से मुस्करायेगा।

तूफ़ान की फ़ितरत से वाक़िफ़ है जन-जीवन,

तामीरपसंद हाथों फिर अपना घर बनाएगा।

परिंदा  जानता  है  मोहबत  का  घर अपना,

मंदिर कभी मस्जिद मुडेरों से नगमा सुनाएगा

उदय वीर सिंह।