जिसमें प्रेम-सन्देश न हो
यशगान मुझे स्वीकार नहीं
जिसमें मेरा देश न हो--
कहने का साहस रखते हैं
सुनने की भी रीत यहाँ ,
मिटने का बल न्याय -निहित ,
अन्याय उन्मूलन की सीख यहाँ -
जीवन की मर्यादा है तो ,
मृत्यु का संज्ञान भी है ,
भक्ति भाव संकल्प भी है तो ,
रण भूमि का ध्यान भी है--
निष्क्रिय हो वो ह्रदय पंक-मय ,
भारत प्रेम अवशेष न हो -
वेद -पुराण प्रतिष्ठित हैं तो ,
ग्रन्थ- साहिब को सम्मान भी है ,
कुरान शरीफ ,बाईबल भी जाग्रत ,
तो बुद्ध, जैन का ज्ञान भी है ---
सूर ,कवीर ,तुलसी की ऑंखें ,
बांचे है मानव रचना ,
सूफी संत ,फकीर रसीले ,
पी लो अमृत चाहे जितना --
वह राह भी है कितनी सूनी,
जिस पथ में दरवेश न हों--
जब रावण का प्रादुर्भाव हुआ ,
तब राम यहाँ पर आते हैं ,
जब छल - छद्म आतंक बढ़ा,
तब गीता , कृष्ण सुनाते हैं --
युद्ध वरण हो धर्म हमारा ,
जब शांति- पथ अवशेष न हों --
कितने आये चले गए युग ,
न गया देश न प्यार कभी ,
बह रही निरन्तर गंगा -यमुना ,
श्रधा थीं , नहीं व्यापार कभी --
अभिशप्त -मानस के दुराग्रही ,
प्रवेश न हो ,अभिषेक न हो -
प्रतिमान हमारे ऊँचे हैं ,
स्वाभिमान हमारा ऊँचा है ,
बिगड़ी तो बना लेने का दम ,
सदाचार हमारा ऊँचा है --
जय -हिंद कहे अंतिम धड़कन ,
सद्भाव रचे ,विद्वेष न हो --
उदय वीर सिंह
13/07/2011
9 टिप्पणियां:
जीवन की मर्यादा है तो ,
मृत्यु का संज्ञान भी है ,
भक्ति भाव संकल्प भी है तो ,
रण भूमि का ध्यान भी है--
...बहुत सुन्दर औए प्रेरक प्रस्तुति..आभार
जीवन की मर्यादा है तो ,
मृत्यु का संज्ञान भी है ,
भक्ति भाव संकल्प भी है तो ,
रण भूमि का ध्यान भी है--bahut hi badhiyaa
प्रतिमान हमारे ऊँचे हैं ,
स्वाभिमान हमारा ऊँचा है ,
बिगड़ी तो बना लेने का दम ,
सदाचार हमारा ऊँचा है --
जय -हिंद कहे अंतिम धड़कन ,
सद्भाव रचे ,विद्वेष न हो -
गदगद हो गया मन उदय जी.
आपकी सोच व उच्च भावनाओं को प्रणाम.
आपके आत्म-विश्वास को प्रणाम
आपके देश प्रेम को प्रणाम..
प्रिय, प्रबुद्ध- जनों आपके मुखर विचार मुझे भरोषा देते हैं ,कि मेरा लेखन सतत गतिमान रहे ,आपके हृदय से प्रस्फुटित सद्भाव ,मंजिल कि तलाश में चिराग बनते हैं , जो थोड़े ही होते हैं ,फिर भी अनमोल / जिन्हें सहेजना मेरा धर्म है ,सफलता के लिए ,उच्च आदर्शों के लिए सम्मान के लिए /हृदय से आभारी हैं आपके स्नेह .......के लिए /
प्रेरक रचना! यदा यदा हि ...
प्रेरक देशभक्ति रचना
आभार
क्यों पढ़ें तेरी यश-गाथा
जिसमें प्रेम-सन्देश न हो
यशगान मुझे स्वीकार नहीं
जिसमें मेरा देश न हो--
......
जीवन की मर्यादा है तो ,
मृत्यु का संज्ञान भी है ,
भक्ति भाव संकल्प भी है तो ,
रण भूमि का ध्यान भी है--
L a j w a a b.
रतिमान हमारे ऊँचे हैं ,
स्वाभिमान हमारा ऊँचा है ,
बिगड़ी तो बना लेने का दम ,
सदाचार हमारा ऊँचा है --
आस्था और विश्वास से ओतप्रोत सुन्दर रचना !
शौर्य का संचार करती रचना!
आज इसी जागरण की आवश्यकता है!
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