आज रोटी मेँ मेरे कबाब लग गया
कहते हैं चिट्टी मेँ चादर दाग लग गया -
सौदा ही तो किया था भूखे बच्चों के जानिब
लंबरदारों को कितना ख़राब लग गया -
कहाँ थी जमाने को जश्नों से फुर्सत
बेचा किडनी तो पतझर मेँ फाग लग गया -
हमदर्द भी बहुत थे खामोशियों मेँ मेरी
मांगी मदद तो रुख हिजाब लग गया -
उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
कहाँ थी जमाने को जश्नों से फुर्सत बेचा किडनी तो पतझर मेँ फाग लग गया -
हमदर्द भी बहुत थे खामोशियों मेँ मेरी मांगी मदद तो रुख हिजाब लग गया -
वाह, बहुत खूब।
बहुत सुंदर। शायद चिट्टी चादर में दाग लग गया होना चाहिये।
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