फ़ानी आप हैं-
जिंदगी का सफ़र ये नया तो नहीं
दामन पुराना, नए आप हैं-
हर हाल में , हर जगह जिंदगी ,
ये मसला अलग कि, कहाँ आप हैं-
कब मेहरबान ,किससे गाफिल हुयी,
आप से क्या हई, बा-ख़बर आप हैं-
उल्फत का दामन, इतना जर्जर हुआ
फिर भी जिद है कि पकडे हुए आप हैं -
फैसले उसके होते रहे अलहदे
जज्बा इतना, मुतासिर हुए आप हैं -
कभी आना बताएँगे तफसील से,
वो ग़ालिब रही , फ़ानी आप हैं-
दो कदम न चली इल्तजा जब रही ,
अपने साये का संग,हमसफ़र आप हैं
-उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
सभी आप पर निर्भर हैं,
हम बस भोले शंकर है।
एक टिप्पणी भेजें