तू किसका है -
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कल का आंसूं , आज का तेरा पड़ाव है
कल के स्वांग की आगे बात कर-
कुछ मिश्री सी घोल की बात बन जाये
तेरा फ़न मालूम है ,मतलब की बात कर-
कुत्ता भी हैरान कल रेशम, आज तन खादी
भौंके है तुझे देख अपनी पहचान की बात कर-
तेरी जाति,तेरा धर्म तेरा ईमान नहीं मालूम
हैवानियत की छोड़ इंसानियत की बात कर-
न काशी है, न तेरा काबा है, मतलबपरस्त
तू किसका है सौदाई सिर्फ उसकी बात कर-
- उदय वीर सिंह
5 टिप्पणियां:
न काशी है,न तेरा काबा है मतलब परस्त
तू किसका है सौदाई सिर्फ उसकी बात कर,,,
बहुत सुंदर भावपूर्ण पंक्तिया,,बधाई
RECENT POST: पिता.
बहुत सुन्दर!
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सागर से कम है नहीं, आँसू का अस्तित्व।
मोती का संसार में, होता है वर्चस्व।।
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आपकी पोस्ट की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी है।
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.
कुछ मिश्री सी घोल की बात बन जाये
तेरा फ़न मालूम है ,मतलब की बात कर-
बहुत सुंदर पंक्तियाँ शानदार प्रस्तुति हेतु बधाई उदय वीर जी
सच कहा आपने, स्वार्थों को कितने लादे उढ़ा रखे हैं।
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