माँ तो गंगा है ...
हिस्से में मेरे माँ आई
कह माँ को शर्मिंदा न करो-
माँ बंटवारे की वस्तु नहीं
माँ तो गंगा है गन्दा न करो-
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तेरे रोने से वो रोई है
हंसी ही उसकी खुशियाँ हैं
खौफ खुदाई एक तरफ, तेरी
दुनियां ही उसकी दुनियां है -
जन्नत है उसके पांवों में नंगा न करो-
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ईश्वर भी उसकी रस्सी से
ओखल में बांधे जाते हैं
देव - दैत्य सब एक सामान
माँ से दुलारे जाते हैं -
आँचल में भरा अमृत सागर विष- रस की वर्षा न करो -
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ब्रत रखती तू रहे सलामत
हर देवालय में मत्था टेका है
क्या माँ के खातिर कभी
किसी ने , कोई ब्रत रक्खा है ? -
करती है चिंता तेरी , तूं चाहे चिंता न करो -
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हर दर्द बला से तू दूर रहे
ताबीज बनाया करती है,
भूखे पेट स्वयं सो लेती
तुमको वो खिलाया करती है-
तोड़ा पत्थर मिले निवाला ममता की निंदा न करो-
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-उदय वीर सिंह
13 टिप्पणियां:
माँ तो सबकी है उसका बटवारा कैसा,,,,
बहुत उम्दा भाव,,,,
Recent post: रंग,
माँ तो माँ है उसके जैसा कोई नहीं | माँ को हमेशा शत शत नमन |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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भाव भरी गहरी अभिव्यक्ति, माँ की ममता बस वरदान है।
बहुत ही सुंदर रचना
माँ तो बस माँ है… जननी भी और जगजननी भी .... उसका कैसा बंटवारा? माँ तो सबकी है ...माँ को नमन , बारम्बार नमन ..
माँ माँ माँ .....कोटिश: नमन
माँ धरती का वरदान है!
आप की ये खूबसूरत रचना शुकरवार यानी 8 मार्च की नई पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है...
आप भी इस हलचल में आकर इस की शोभा पढ़ाएं।
भूलना मत
htp://www.nayi-purani-halchal.blogspot.com
इस संदर्भ में आप के सुझावों का स्वागत है।
सूचनार्थ।
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भूलना मत
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इस संदर्भ में आप के सुझावों का स्वागत है।
सूचनार्थ।
sunder rachna
shubhkamnayen
माँ बाप सबके लिए सामान है .उसका बटवारा नहीं होता
latest post होली
l
बहुत सुन्दर रचना.
हर दर्द बला से तू दूर रहे
ताबीज बनाया करती है,
भूखे पेट स्वयं सो लेती
तुमको वो खिलाया करती है-
तोड़ा पत्थर मिले निवाला ममता की निंदा न करो-maa to maa hae,us sa sneh aur kahan,us si mamta aur kahan
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