मेरे सवाल कभी संसद नहीं गए,
वो अवाम के हैं ,आम लोगों के है -
किसी आभिजात्य दौलत मंदों के नहीं
बेकस ,मजलूम तमाम लोगों के हैं -
इत्तेफाक रखते हैं रोटी कपड़ा मकान से
विकास से अंजान लोगों के हैं -
जिनके दम पर खड़ी है वतन की इमारत
तामीरदार गुमनाम लोगों के हैं -
सियासत के मदरसों में ,मोहरे कहे गए
वतनपरस्ती में बदनाम लोगों के हैं -
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