बुधवार, 20 जनवरी 2016

जवाब दे दो



उसके सवालों का जवाब दे दो
कर्ज कुछ पुराने है हिसाब दे दो -
झूठ भी सच बन कर खड़ा है 
कम से कम उसे नकाब दे दो -
गीले पन्ने पर कल्म मजबूर है
जुबा पर ही सही इंकलाव दे दो -
देखे अपनी आजादी एक नजर
उसे नींद दे दो एक ख्वाब दे दो -



उदय वीर सिंह

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत खूब, काश यह हो पाता।