रविवार, 13 जून 2021

ताज पैरहन है सेवादारी का..


आज जो कहा है आपने ,कल आपको सुनना होगा।
बुलंदी ही कुछ ऐसी है,नीचे आसमान के रहना होगा।
सवाल आज भी वही हैं जो कल पूछा था आपने,
अंधेरा है तो हर हाल में चिराग़ों को जलना होगा।
तूफान की भी उम्र लिखी है उसके उठने से पहले,
शमशान गवाह है,जलाने वाले को भी जलना होगा।
जुल्म-ए-तख्त की हिमायत जत्थेदार नहीं करते,
ताज पैरहन है सेवादारी का,सेवादार बनना होगा।
उदय वीर सिंह ।

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