अग्नि- पथ से गुजरे हैं ,कदम को बढ़ाये हैं ,
खुशियों का आँगन है संभावनाएं हैं -
अपना क्षितिज है ,अपना खुला आसमान है ,
अपनी हैं रातें , शाम , अपना विहान है -
अपने हृदय में अब अपनी भावनाएं है -
अपनी हैं आँखें अपनी चुनर व चोलियाँ ,
अपनी हैं आँखें अपनी चुनर व चोलियाँ ,
अपने चमन में अपनी भाषा व बोलियाँ -
गहरी निराशा छोड़ वदन मुस्कराए हैं -
अपना है हाथ अपने सृजन की विवेचना ,
परिकल्पनाओं में एक भारत की अर्चना -
शहीदों के लिखे गीत , सबने गुनगुनाएं हैं -
अर्पण , समर्पण , त्याग , सौंदर्य ,शौर्य को ,
बोया तो पाया है स्वतंत्रता के बौर को -
सरदार दुनियां का तिरंगा के साये हैं -
वन्देमातरम के गीत , जय हिंद मंत्र हैं ,
अचला - गगन में यश , गौरव अनंत हैं -
जलती रहे मशाल ,जो शहीदों ने जलाये हैं -
उदय वीर सिंह .
अर्पण , समर्पण , त्याग , सौंदर्य ,शौर्य को ,
बोया तो पाया है स्वतंत्रता के बौर को -
सरदार दुनियां का तिरंगा के साये हैं -
वन्देमातरम के गीत , जय हिंद मंत्र हैं ,
अचला - गगन में यश , गौरव अनंत हैं -
जलती रहे मशाल ,जो शहीदों ने जलाये हैं -
उदय वीर सिंह .
7 टिप्पणियां:
वन्देमातरम के गीत , जय हिंद मंत्र हैं ,
अचला - गगन में यश , गौरव अनंत हैं -
जलती रहे मशाल ,जो शहीदों ने जलाये हैं -
जय हिंद .....
बेहद उम्दा प्रस्तुति।
एक -एक शब्द हैं मोती जैसे.
भाव उनमे है अनमोल भरा.
कुछ छलक अगर जाए जरा,
पी अंतर्बल हम भी पायें जरा.
इसमें देश प्रेम की अग्नि है,
इसमें है जो जज्बात भरा.
हम उसी सहारे कर लेंगे.
मातृ स्नेह का पान जरा
देश भक्ति से ओत-प्रोत गीत गाकर आपने गुरुओं की याद दिला दी. नमन गुरु सत्ता के साथ-साथ आपको भी. क्योकि 'गुरु सिख सिख गुरु. गुरु सिख होई' यही तो कहा था; दशमेश जी ने. खालसा रूप का दिग्दर्शन करने के लिए आभार, सप्रेम नमस्कार.शुभ रात्रि सर!
ये भाव सदा जीवित रहें...
desh bhakti ka jajbaa liye hue shandaar prastuti.aabhar.
देश भक्ति से भरी हुई सुन्दर प्रस्तुति ..
जय हो! वन्दे मातरम!
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