हरदम व्यथा की आग में
जलाया गया मुझे ,
रास्ते का पत्थर हूँ ,
बताया गया मुझे -
पीने का साफ पानी
मयस्सर नहीं हुआ ,
बहती नदी शराब की,
डुबाया गया मुझे-
धरती से आशमां तक,
ख्वाबों की क्या कमी,
मैं देखता रहा ,
दिखाया गया मुझे-
पेशे से आदमी हूँ ,
मालूम उन्हें भी था,
सबब मुफलिसी का ,
बताया गया मुझे-
ढूढता रहा सबब ,
क्यूँ लाचार आदमी,
शराफत का साझीदार ,
बताया गया मुझे-
इल्जाम है उदय कि,
बोलने लगे हो तुम
मैं बोलता नहीं हूँ,
बताया गया मुझे -
उदय वीर सिंह
12 टिप्पणियां:
उत्कृष्ट प्रस्तुति सर जी ||
इल्जाम है उदय कि,बोलने लगे हम हैं,
मैं बोलता नहीं हूँ बताया गया मुझे -
बहुत सुंदर सम्प्रेषण,,,,,,
MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
वाह क्या बात है उम्दा प्रस्तुति
खूबसूरत गज़ल..............
अर्थपूर्ण शेर.................................
सादर
वाह बहुत शानदार ग़ज़ल
हरदम व्यथा की आग में जलाया गया मुझे ,
रास्ते का पत्थर हूँ ,बताया गया मुझे -
पीने का साफ पानी मयस्सर नहीं हुआ ,
बहती नदी शराब की, डुबाया गया मुझे-
waah bahut khub ...har dil kii aawaz ko shabdo mein likh diya
बेहतरीन, दमदार रचना..
कामन आदमी की व्यथा को शब्दों में पिरो दिया है आपने... बेहतरीन प्रस्तुति...
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उम्दा लेखन, बेहतरीन अभिव्यक्ति
हिडिम्बा टेकरी
चलिए मेरे साथ
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ पहली बारिश में गंजो के लिए खुशखबरी" ♥
♥सप्ताहांत की शुभकामनाएं♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
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ਆਮ ਆਦਮੀ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਹੀ ਵਧੀਆ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ਼ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਹੈ ਤੁਸਾਂ ਨੇ!
ਬਹੁਤ ਬਹੁਤ ਵਧਾਈ!
ਹਰਦੀਪ
हरदम व्यथा की आग में जलाया गया मुझे ,
रास्ते का पत्थर हूँ ,बताया गया मुझे -
पीने का साफ पानी मयस्सर नहीं हुआ ,
बहती नदी शराब की, डुबाया गया मुझे-
उदयवीर जी उत्कृष्ट रचना ...हाँ ऐसा भी कर दिया जाता है हमारे जीवन को ...
भ्रमर ५
इल्जाम है उदय कि, बोलने लगे हम हैं,
मैं बोलता नहीं हूँ बताया गया मुझे -
अच्छा ख्याल
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