मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

इस देश की मिट्टी पोली है ,,,


इस  देश की मिट्टी  पोली है
हर  पौध   उगाया  करती  है -
जन्म -मरण,उत्थान -पतन,
हर  रश्म  निभाया  करती है -

गेंदा  गुलाब , केशर  चन्दन ,
बेला  केतकी  चंपा  की  डार ,
हल्दी नीम, तुलसी श्रीमौली,
अफीम,धतुरा भंग की क्यार-

आम सेब  अंगूर, मधुर फल,
आँचल  में सजाया  करती है-

नागफनी , बबूल, कंठ - बेल,
कंटक - झाड़ी ,   अमलतास
स्वर्ण, रजत, ताम्र  से सुन्दर
उगते रुचिकर पुष्प  व  पात-

जीवन- जन  अभिशप्त न  हो ,
शुभ  अन्न  उगाया  करती है-


हूँण ,   सकों ,  यवनों  यतीम 
तुर्क , मंगोल , गुलाम  मुग़ल,
धूल धूसरित लांछित  पग थे,
इस  मिट्टी  का  भाव  सबल -

सद्भाव सानिध्य स्नेह की लोरी 
वत्सल भाव दिखाया करती है -

कुटिल,कामी गद्दार अविवेकी
मांगी    शरण     पाई   है  यहाँ  
उनके  संस्कारों  से क्या लेना,
निज संस्कारों को जाई है यहाँ -

वस्त्रहीन  को  वस्त्र ,मृतक को
कफ़न     ओढाया     करती  है-  


झंझावत  ,  तूफान     बहुत  से 
आये   और     विश्राम      लिए ,
एक कण भीकिंचित डिगा नहीं
स्थापित    है   सम्मान    लिए -

संचित ज्वाला  हृदय में इतनी 
अंशुमान     उगाया     करती है -

कर्ण ,   दधिची ,  बलि    सपूत 
देते     दान ,     प्रतिदान   नहीं ,
गुरुओं   के   पग   पावन  आते ,
पाया     स्नेह   अवसान    नहीं-

अभिसरित   हुआ  है प्रेम सदा 
वह     राह   बनाया   करती  है -

                              - उदय वीर सिंह  





  
   




 

     


4 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मिट्टी की महिमा है ...सबको बल प्रदान किया है .... सुंदर प्रस्तुति

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मिट्टी पोली, सहते सहते आँसू धार।, रुक्ष हो गयी।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत उम्दा,लाजबाब प्रस्तुति...भाई जी,,,

recent post: रूप संवारा नहीं,,,

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपका यह पोस्ट अच्छा लगा। मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। धन्यवाद।