
इस देश की मिट्टी पोली है
हर पौध उगाया करती है -
जन्म -मरण,उत्थान -पतन,
हर रश्म निभाया करती है -
गेंदा गुलाब , केशर चन्दन ,
बेला केतकी चंपा की डार ,
हल्दी नीम, तुलसी श्रीमौली,
अफीम,धतुरा भंग की क्यार-
आम सेब अंगूर, मधुर फल,
आँचल में सजाया करती है-
नागफनी , बबूल, कंठ - बेल,
कंटक - झाड़ी , अमलतास
स्वर्ण, रजत, ताम्र से सुन्दर
उगते रुचिकर पुष्प व पात-
जीवन- जन अभिशप्त न हो ,
शुभ अन्न उगाया करती है-
हूँण , सकों , यवनों यतीम
तुर्क , मंगोल , गुलाम मुग़ल,
धूल धूसरित लांछित पग थे,
इस मिट्टी का भाव सबल -
सद्भाव सानिध्य स्नेह की लोरी
वत्सल भाव दिखाया करती है -
कुटिल,कामी गद्दार अविवेकी
मांगी शरण पाई है यहाँ
उनके संस्कारों से क्या लेना,
निज संस्कारों को जाई है यहाँ -
वस्त्रहीन को वस्त्र ,मृतक को
कफ़न ओढाया करती है-
झंझावत , तूफान बहुत से
आये और विश्राम लिए ,
एक कण भीकिंचित डिगा नहीं
स्थापित है सम्मान लिए -
संचित ज्वाला हृदय में इतनी
अंशुमान उगाया करती है -
कर्ण , दधिची , बलि सपूत
देते दान , प्रतिदान नहीं ,
गुरुओं के पग पावन आते ,
पाया स्नेह अवसान नहीं-
अभिसरित हुआ है प्रेम सदा
वह राह बनाया करती है -
- उदय वीर सिंह
4 टिप्पणियां:
मिट्टी की महिमा है ...सबको बल प्रदान किया है .... सुंदर प्रस्तुति
मिट्टी पोली, सहते सहते आँसू धार।, रुक्ष हो गयी।
बहुत उम्दा,लाजबाब प्रस्तुति...भाई जी,,,
recent post: रूप संवारा नहीं,,,
आपका यह पोस्ट अच्छा लगा। मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। धन्यवाद।
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