दर्दों के बोझ में इजाफ़ा न कीजिये
अस्मिता के मोल पर मुनाफ़ा न कीजिये -
आशाओं के पंख पर सपने संवारे हैं
किया एतबार , झूठा वादा न कीजिये -
भरोषे की ईंट से ईमारत बनायी है
स्वागत है आप का बहाना न कीजिये-
खुशियों में आप की निसारेंगे जिंदगी
भले मेरे गम में आप ,साझा न कीजिये -
- उदय वीर सिंह
4 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (25-08-2014) को "हमारा वज़ीफ़ा... " { चर्चामंच - 1716 } पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर प्रस्तुति
बहुत ख़ूब
बहुत ख़ूब
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