सोमवार, 22 अगस्त 2022

अमरबेल सी तेरी छांव...






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बरबस आते स्मृतियों में स्नेह सुरभि के

सुंदर गांव।

तपती किरणों से कवच हमारी अमरबेल

सी तेरी छांव।

ले लेती परछाईंअज्ञातवास जब निशा 

कर्कशा  आती,

पाया हमने कालरात्रि में आगे चलते

तेरे संवेदन के पांव।

समृद्ध  अधर  मुस्कान  सरस रच जाते 

राह विषम वन में,

बतलाता  कौन  पथिक को पथ, सबके 

अपने अपने दांव।

उदय वीर सिंह।

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