रहजनों के हवाले...✍️
जानवर से हुए आदमी धीरे- धीरे।
आदमी हो गया जानवर धीरे- धीरे।
ख़बर थी मोहब्बत से दुनियां भरेगी,
नफ़रत के बादर घिरे धीरे -धीरे।
वसीयत में थी सच्च की बादशाहत,
झूठ की आग में वो जली धीरे-धीरे।
सफ़र की निजामत सदर के हवाले,
रहजनों के हवाले सफ़र धीरे- धीरे।
उदय वीर सिंह।
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