मेरी जबान ले गया.....✍️
झूठ बोला और सच का इनाम ले गया।
देकर थाली में भात मेरा मकान ले गया।
दिखाकर मंजर मेरी बर्बादियों का वीर,
सील कर मेरे होंठ मेरी जुबान ले गया।
रहजनों का इतना खौफ़ रस्ता सहम गया,
गुनाह किसी और का ,मेरा नाम ले गया।
सुन कर कथा फरेब की मुतमईन हो गए,
मेरे पैरों की जमीन,मेरा आसमान ले गया।
उदय वीर सिंह।
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