इंसान बस्तियों से आएंगे...✍️
रोटियां खेतों से मिलेंगी शमशान से नहीं।
सोना जमीं से निकलेगाआसमान से नहीं।
दर्द का रंग सबका एक ही होता है प्यारे
हल दिल से निकलेगा तीर कमान से नहीं।
मिट्टी थोड़ी खाद पानी व अपनापन चाहे
फूल चमन से आएंगे किसी म्यान से नहीं।
ना-पसंद है सरहद ख़ुशबू और फूलों को
चमन माली से साद मांगे सुल्तान से नहीं।
ख्वाहिशें बे-सरहद हुईं जमीं सिमटती गई,
इंसान बस्तियों से आएंगे शमशान से नहीं।
उदय वीर सिंह।
1 टिप्पणी:
वाह वाह क्या बात है
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