क्यों
मिलता
है ऐसा हाल,
मलाल है ,
जिंदगी से -
क्या
पहनने
ओढ़ने को
सिर्फ
दर्द ही हैं, सवाल है जिंदगी से-
भूख ,
कचरों में ढूंढ़ थक गयी
मासूमियत भी लाचार जिंदगी से -
कभी
दे सको तो
इस्तहार देना
कितना है इनको प्यार जिंदगी से -
धर्म, संसद, कानून का कितना रह
गया है , सरोकार जिंदगी से -
मिला किसी को नूर,दौलत माँ-बाप
किसका है इनको
अब तक इंतजार ..... ?
है सवाल जिंदगी से-......
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2 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 07 दिसम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
Sahi baat...umda
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