हौसले तूने दिए
जर्रों को आफताब होने के हौसले तूने दिये,
रब की रज़ा थी ,नायब फैसले तूने किये -
अँधेरे जाएँ तो कहा जाएँ होंठ सवाली थे
मिटाकर ऐब उनका ,उन्हें उजले तूने किये -
तेरा मुकम्मल नूर वफ़ा की राह ले जाता ,,
झूठ ,पाखंड के सिने पर हमले तूने किये -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-11-2019) को "गठबन्धन की नाव" (चर्चा अंक- 3518) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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