शनिवार, 9 नवंबर 2019

बादल मद में चूर है .....

लगे जबान पर ताले,संवेदन मजबूर है ,
इन्साफ बहुत दूर है -
हाथों में हथकड़ियाँ ,पैर बंधे बिच बेड़ियाँ,
पथ कंकड़ भरपूर है !
मंजिल बहुत दूर है -
धरती पर अंगारे ,पंछी मारे- मारे ,
जलने को मजबूर है !
आसमान बहुत दूर है -
झरते झर-झर आंसू,बेबस अंख बे-नूर ,
नींद नयन से दूर है !
ख्वाब बहुत दूर है -
प्याऊँ सुखा ,कुंए गहरे ,घडियालों के कामिल पहरे
नीर पहुँच से दूर है !
बादल मद में चूर है -
उदय वीर सिंह






2 टिप्‍पणियां:

kuldeep thakur ने कहा…


जय मां हाटेशवरी.......

आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
10/11/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......

अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद

मन की वीणा ने कहा…

सार्थक सृजन।